मार्क जुकरबर्ग को अपना एक बहुत बड़ा प्लान बीच में ही रोकना पड़ा। और इसकी वजह कोई कानूनी कार्यवाही नहीं बल्कि मधुमक्खियां है। दरअसल मार्क जुकरबर्ग एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डाटा सेंटर डेवलप करने की योजना बना रहे है। जो पूरी तरह से न्यूक्लियर पावर से चलता हो। इस प्लांट का काम भी शुरू कर दिया गया था। मगर जहां यह एआई डाटा सेंटर प्लांट बनाया जा रहा था। वहां एक विशेष प्रकार की दुर्लभ प्रजाति की मधुमक्खियों की मौजूदगी दर्ज की गई है। जिसकी वजह से अब मार्क के इस न्यूक्लियर पावर एआई डाटा सेंटर का काम बीच में ही रोकना पड़ा है। आईए इसके बारे में विस्तार से जानकारी लेते हैं।
मार्क जुकरबर्ग के आड़े आई मधुमक्खियां
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आने से इंटरनेट और टेक्नोलॉजी की दुनिया में बड़ा बदलाव आया है। इसके आने के बाद बहुत कम समय में ही तकनीकी दुनिया ने बहुत तरक्की कर ली है। दुनिया के सभी बिजनेस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को अपनाने की होड़ में लगे हैं। वहीं कुछ लोग AI को बहुत बड़े पैमाने पर आगे बढ़ना चाहते हैं। जिसमें मार्क जुकरबर्ग भी एक बड़े खिलाड़ी के रूप में नजर आ रहे हैं। मेटा के CEO मार्क जुकरबर्ग एक ऐसा एआई डाटा सेंटर तैयार करने जा रहे हैं। जो पूरी तरह से न्यूक्लियर पावर से चलता हो। मार्क का यह प्रोजेक्ट लगभग शुरू ही कर दिया गया था। मगर इसी बीच उन्हें यह प्रोजेक्ट बीच में रोकना पड़ा।
मेटा कर्मचारियों द्वारा जानकारी मिली है कि जहां यह एआई डाटा सेंटर तैयार किया जा रहा था। वहां एक विशेष प्रकार की दुर्लभ प्रजाति की मधुमक्खियां की खोज की गई है। इसके बाद अब कंपनी को अपना प्रोजेक्ट आगे बढ़ाने के लिए कई प्रकार के विशेष कानून कायदे फॉलो करने होंगे।
मार्क जुकरबर्ग निकालेंगे नया रास्ता
मधुमक्खियां की खोज के बाद मार्क ने अपने प्रोजेक्ट में बदलाव करने की योजना बनाई है। वह चाहते हैं कि यह प्रोजेक्ट जल्द से जल्द पूरा हो। इसके लिए हर संभावित विकल्प का इस्तेमाल किया जाए। मेटा दुनिया में पहला परमाणु ऊर्जा से चलने वाला एआई डाटा सेंटर तैयार करना चाहता है। जिसके लिए कंपनी जल्द ही कोई दूसरा रास्ता खोजेगी और अपने इस प्रोजेक्ट को हकीकत में बदलेगी। कंपनी जल्द से जल्द अपने प्रोजेक्ट को गति देना चाहती है। क्योंकि उनके कंपीटीटर भी न्यूक्लियर पावर से चलने वाले और AI डाटा सेंटर को पर काम और निवेश कर रहे हैं।
न्यूक्लियर पावर से चलने वाले एआई डाटा सेंटर की रेस
न्यूक्लियर पावर से चलने वाले एआई डाटा सेंटर डेवलप करने की रेस में सिर्फ मार्क जुकरबर्ग ही नहीं बल्कि दुनिया की कई दिग्गज हस्तियां भी शामिल है। जिसमें गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और अमेजॉन का नाम मुख्य रूप से लिया जाता है। गूगल ने इसी तरह का एआई डाटा सेंटर तैयार करना भी शुरू कर दिया है। जो लगभग 2030 तक पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा। गूगल लगभग 7 मिनी न्यूक्लियर पावर प्लांट के साथ AI डाटा सेंटर लगाने की योजना पर काम कर रहा है।
इसके लिए गूगल ने परमाणु रिएक्टर स्टार्टअप “कैरोस पावर” से हाथ भी मिलाया है। दूसरी ओर माइक्रोसॉफ्ट और अमेजॉन भी इसी दिशा में काम कर रहे हैं।
AI डाटा सेंटर क्या होता है?
AI डाटा सेंटर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित काम करने के लिए तैयार किये जाते हैं। उनके बगैर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल, वेबसाइट या प्लेटफार्म नहीं बनाए जा सकते। उनका इस्तेमाल मुश्किल से भी मुश्किल मशीन लर्निंग मॉडल और कई एआई एल्गोरिथम बनाने के लिए किया जाता है। इन एआई सेंटर में हाई परफार्मेंस सर्वर, नेटवर्किंग इंफ्रास्ट्रक्चर, लाखों TB तक डाटा स्टोर करने के लिए स्टोरेज सिस्टम और कई ऐसे जरूरी उपकरण होते हैं। जो तकनीकी क्षेत्र में काम आते हैं। मगर इन सब को चलाने के लिए सबसे खास और जरूरी इलेक्ट्रिसिटी पावर होती है। जिसकी पूर्ति के लिए अब कंपनियों ने मिनी न्यूक्लियर प्लांट लगाने की योजना पर काम करना शुरू कर दिया है।
जब हम किसी भी एआई मॉडल में कोई क्वेरी डालते हैं। तो वह अपने सर्वर पर रिक्वेस्ट भेजता है। हमारी क्वेरी से जुड़ी तमाम जानकारी लाखों TB के स्टोरेज में से खोज कर एक सटीक आउटपुट दिया जाता है। इस दौरान सर्वर काफी गर्म हो जाता है। और इसमें काफी ज्यादा बिजली खर्च होती है। जिससे कंपनी का खर्च भी बढ़ता है। ऐसे में खर्च को कम करने और सुविधाजनक तरीके से काम करने के लिए कंपनियों ने न्यूक्लियर पावर प्लांट का एक तरीका खोज निकाला है।
निष्कर्ष: इस लेख में हमने मार्क जुकरबर्ग से जुड़ी ताजा जानकारी को कवर किया है। जिसमें उनके एआई डाटा सेंटर प्रोजेक्ट में आई बाधा को विस्तार से समझाया गया है। कैसे उन्हें यह प्रोजेक्ट बीच में ही रोकना पड़ा? और अब वह क्या विकल्प खोज रहे हैं? लेख में उपलब्ध कराई गई संपूर्ण जानकारी का स्रोत गूगल है। इसमें किसी प्रकार की त्रुटि पाई जाती है तो हमें सूचित करें।
FAQ-
मार्क जुकरबर्ग को मधुमक्खी की वजह से अपना प्रोजेक्ट क्यों रोकना पड़ा?
मार्क को अपना AI डाटा सेंटर प्रोजेक्ट बीच में ही रोकना पड़ा। क्योंकि जहां यह डेटा सेंटर तैयार किया जा रहा था। वहां पर विशेष प्रकार की मधुमक्खियां की प्रजाति की मौजूदगी पाई गई है। इसके बाद इनके संरक्षण के लिए कंपनी को अपने प्रोजेक्ट को रोकना पड़ा।
न्यूक्लियर पावर एआई डाटा सेंटर क्या है?
न्यूक्लियर पावर एआई डाटा सेंटर का अर्थ एक ऐसे AI डाटा सेंटर से लिया जाता है। जिसे इलेक्ट्रिसिटी पावर सप्लाई न्यूक्लियर के माध्यम से दी जाती है।