वनवास मूवी रिव्यू: गदर फ्रेंचाइजी से धमाकेदार सफलता हासिल करने वाले अनिल शर्मा की नई फिल्म वनवास रिलीज हो चुकी है। इस फिल्म ने अनिल शर्मा के करियर को एक नई दिशा दी है। जहां एक और अनिल शर्मा को मारधाड़ और खून-ख़राबे वाली फिल्में बनाने वाले डायरेक्टर के नजरिया से देखा जाता है, वही इस फिल्म ने दर्शकों को काफी इमोशनल कर दिया है। फिल्म में पारिवारिक रिश्तों को करीब से दिखाने की कोशिश करती है।
जिसमें दिखाया गया है, कि कैसे मां-बाप अपने बच्चों को पाल-पोषकर बड़ा करते हैं। जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो अपने मां-बाप का सहारा बनने के बजाय उन्हें बेसहारा छोड़ उनसे मुंह फेर लेते हैं। अगर आप भी वनवास फिल्म देखने की सोच रहे हैं, तो आपको पहले इसके रिव्यू पर लेने चाहिए।
वनवान फिल्म की स्टार कास्ट
जैसा की वनवास फिल्म का डायरेक्शन अनिल शर्मा द्वारा किया गया है जिसमें नाना पाटेकर और उत्कर्ष शर्मा ने मुख्य भूमिका निभाई है। उत्कर्ष शर्मा के अपोजिट सिमरत कौर ने लीड फीमेल एक्ट्रेस का किरदार निभाया है। बता दे उत्कर्ष शर्मा और सिमरत कौर पिछले साल रिलीज हुई ग़दर 2 फिल्म में एक साथ नजर आए थे। इनके अलावा फिल्म में राजपाल यादव और अश्विनी ककालसेकर ने सहायक भूमिका निभाई है। वनवास एक हिंदी फैमिली ड्रामा फिल्म है।
क्या है वनवास फिल्म की कहानी
वनवास फिल्म की कहानी काफी हटकर है। आज से पहले इंडियन सिनेमा में शायद ही ऐसी मायूस कर देने वाली कहानी पर फिल्म बनी हो। फिल्म में त्यागी (नाना पाटेकर) का रिटायरमेंट हो चुका है। इसके साथ ही वह एडवांस डिमेंशिया नाम की बीमारी से जूझ रहा है। जिसमें उसकी याददाश्त जा चुकी है। वह अपनी दिवंगत पत्नी से बहुत प्यार करता है और अपने आलीशान घर जिसका नाम “विमला सदन” है। उसे एक ट्रस्ट में बदलना चाहता है, ताकि लोगों की सेवा हो सके और उसकी पत्नी को याद रखें।
मगर उसके तीन शादीशुदा बेटे और पोते-पोतियां हैं। जो किसी भी हाल में नहीं चाहते कि उनका यह लग्ज़री घर समाज सेवा को समर्पित हो। इस घर को ट्रस्ट बनाने से रोकने के लिए त्यागी के बेटे त्यागी को बनारस ले जाकर छोड़ आते हैं और झूठी अफवाह उड़ा देते हैं, कि त्यागी गंगा में डूब गया और उसकी मौत हो गई।
दूसरी ओर त्यागी की मुलाकात बीरू वॉलंटर (उत्कर्ष शर्मा) से होती है। बीरू त्यागी को लूट लेता है। मगर उसकी सच्चाई और स्थिति पता चलने पर वह ठान लेता है कि अब त्यागी को वह फिर से अपने परिवार से मिलाएगा और उसे उसका घर दिलाएगा। इसमें उसका दोस्त राजपाल यादव और प्रेमिका सिमरत कौर भी पूरा साथ देती है। इसी के साथ फिल्म आगे बढ़ती है। अब क्या त्यागी को अपना घर-परिवार वापस मिलेगा? या फिर कहानी कुछ नया ही मोड लेगी? यह तो आपको फिल्म देखकर ही पता चलेगा.
उत्कर्ष शर्मा वनवास मूवी रिव्यू
फिल्म की कहानी और डायरेक्शन काफी बेहतरीन है जो समाज और रिश्तों की स्थिति दिखाने का काम करती है फिल्म में रोमांस राम और इमोशंस के साथ-साथ क्रिया का भी तड़का लगाया गया है इसके चलते फिल्म और ज्यादा मनोरंजन करती है। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक खासकर दर्शकों पर असर करता है दर्शन त्यागी के जीवन को देखकर इमोशनल हो जाते हैं लोगों के थिएटर में ही आंसू बहने लगे।
फिल्म की कहानी थोड़ी धीमी गति से आगे बढ़ती है और कुछ ऐसे भी सीन देखने को मिले हैं। जिनकी असल में फिल्म में कोई जरूरत नहीं थी। हालांकि कलाकारों के दमदार प्रदर्शन ने फिल्म को जीवंत कर दिया है।
नाना पाटेकर ने त्यागी के किरदार में पूरी तरह से डूब गए। ऐसा लगा कि जैसे हम कोई फिल्म नहीं बल्कि वास्तव में किसी इंसान के जीवन से परिचित हुए हैं। दूसरी ओर उत्कर्ष शर्मा और सिमरत कौर ने भी अपने किरदार के साथ न्याय किया है। कलाकारों के बेहतरीन प्रदर्शन ने फिल्म का अलग ही स्वाद बना दिया। राजपाल यादव ने अपनी कॉमेडी से दर्शकों को हंसाने का काम पूरा किया है।
क्या बेहतर कर सकते थे
- फिल्म अपनी कहानी के मुताबिक थोड़ी ज्यादा लंबी खींचती हुई महसूस हुई है। इसे एडिटिंग टेबल पर अनावश्यक और जबरन ठुसे हुए सीन को हटाकर थोड़ा बेहतर किया जा सकता था।
- फिल्मी धीमी गति से चलती है। जिससे दर्शक कुछ समय के लिए बोरियत अनुभव करते हैं। फिल्म की कहानी को थोड़ी और रफ्तार देनी चाहिए थी।
वनवास फिल्म कैसी है देखें या नहीं
फिल्म ना देखने का तो कोई ठोस कारण नहीं है। अगर आपको पारिवारिक फिल्मों का शौक है। जिसमें कॉमेडी, रोमांस और इमोशनल तड़का लगाया गया है, तो यह फिल्म आपके मनोरंजन का एक शानदार विकल्प बनेगी। जो न सिर्फ मनोरंजन बल्कि समाज और दर्शकों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनेगी। यह फिल्म देखकर आपकी आंखों में आंसू तो आने वाले ही है, मगर इसके बाद आपका आपके माता-पिता के साथ व्यवहार पूरी तरह से बदल जाएगा।