अपने खुलासों से दुनियाभर में सनसनी फैलाकर कई बड़ी व नामी कंपनियों के अरबों डॉलर डुबोने वाली अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग अब बंद होने जा रही है. इसके संस्थापक नाथन एंडरसन ने गुरुवार को घोषणा कर हिंडरबर्ग को बंद (Hindenburg Research Shutting Down) करने के जानकारी दी है। हिंडरबर्ग की 2017 में शुरुआत करने वाले एंडरसन ने बताया कि कंपनी बंद करने का फैसला काफी सोच कर लिया है।

एंडरसन ने ऐसा करने के पीछे कोई ठोस वजह नहीं बताई। उनका यह कदम अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल के अंत और डोनाल्ड ट्रम्प के नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण से एक हफ्ते पहले आया है।
हिंडनबर्ग को बंद करने का फैसला लिया गया (Hindenburg Research Shutting Down)
हिंडनबर्ग के फाउंडर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के जरिए पोस्ट कर हिंडनबर्ग को बंद करने की जानकारी दी है। वह लिखते हैं कि हमने जिन लक्ष्यों को ध्यान में रखकर इसकी शुरुआत की थी, वह पूरे हो चुके हैं। जिसके बाद हिंडनबर्ग को बंद करने का फैसला बेहद सोच समझकर लिया गया है।
हमने हिंडनबर्ग रिसर्च के जरिए धोखाधड़ी मिस-मैनेजमेंट और भ्रष्टाचार को उजागर करने में बड़ी सफलता हासिल की है। इस दौरान हमारे खुलासों से कई बड़े साम्राज्यों की जड़े हिल गई। हमारे इस सफर में परिवार दोस्तों और 11 लोगों की टीम ने दिन-रात मेहनत की है और इस रिसर्च फर्म को पावर हाउस में तब्दील किया है।
फाउंडर ने अपने शुरुआती दिनों के संघर्ष और कठिनाइयों का भी जिक्र करते हुए कहा कि जब हमने इसे शुरू किया था तो फाइनेंशियल तौर पर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उनके पास ना ही पर्याप्त वित्तीय संसाधन थे और न ही व्यवसाय जगत में किसी से खास जान पहचान। मगर उन्होंने अपनी सूझबूझ, संयम और मेहनत से अपने लक्ष्य को हासिल कर दिखाया है।
अडाणी ग्रुप को दिया था तगड़ा झटका
यू तो हिंडनबर्ग ने दुनिया भर की कई कंपनियां के खुलासें किये हैं। मगर भारत में केवल अदानी ग्रुप हिंडनबर्ग की चपेट में आया है। हिंडनबर्ग ने अदानी ग्रुप को लेकर डेढ़ साल में दो रिपोर्ट जारी की थी। जिसमें अदानी ग्रुप का लगभग 19 लाख करोड़ से मार्केट कैप 10 लाख करोड़ पर आ पहुंचा था।
अदानी ग्रुप को हिंडनबर्ग ने तगड़ा झटका दिया है। जिसकी पहली रिपोर्ट 24 जनवरी 2023 को जारी की गई थी। जिसमें अदानी ग्रुप पर कॉर्पोरेट इतिहास की सबसे बड़ी धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया गया था। इस रिपोर्ट के बाद अदानी ग्रुप के सभी शेयर लगभग 50 से 60% टूट पड़े थे।
गौतम अडानी एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति के रूप में गिने जा रहे थे, मगर इस रिपोर्ट ने उन्हें एक ही झटके में 20वें नंबर पर पहुंचा दिया। इसके जवाब में अदानी ग्रुप ने भी 413 की रिपोर्ट जवाबदेही में सबमिट की थी।
हिंडनबर्ग की अदानी को लेकर दूसरी रिपोर्ट 10 अगस्त 2024 को आई। जिसमें हिडेनबर्ग ने सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच पर अडानी समूह को फायदा पहुंचाने के आरोप लगाए गए। हालांकि अदानी ग्रुप ने इन तमाम आरोपों को एक सिरे से खारिज कर दिया। जिसका मामला कोर्ट में चल रहा है।
हिंडनबर्ग ने इन कंपनियों की खिलाप निकली थी रिपोर्ट
जूमिया टेक्नोलॉजी : हिंडनबर्ग ने सबसे पहले साल 2019 में जूमिया टेक्नोलॉजी पर यह आरोप लगाए थे की कंपनी ने अपने ऑर्डर नंबर में फेर बदल करके बड़ा चढ़कर बताया है। इस रिपोर्ट के बाद कंपनी के स्टॉक में 50% की गिरावट दर्ज की गई थी।
फार्मसिलो के सह:संस्थापक: इसके बाद हिंडनबर्ग ने साल 2020 में फार्मसिलो के सह:संस्थापक पर कई संदिग्ध भूमि सौदों को लेकर आरोप लगाए थे। इसके बाद कंपनी के स्टॉक में 50% की गिरावट आई।
स्क्वर्क्स कॉर्प : अप्रैल 2020 में स्क्वर्क्स कॉर्प कंपनी पर आप लगाए थे की कंपनी ने कोविड टेस्टिंग किट को लेकर जो दावे किये हैं। वह निराधार हैं, झूठे हैं। इसके बाद कंपनी के स्टॉक 99% गिर गए थे। जो हिंडनबर्ग के प्रति लोगों के मजबूत विश्वास का प्रमाण था। स्क्वर्क्स कॉर्प कंपनी को मार्केट कैप के लिहाजे सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था।
निकोला : सितंबर 2020 में निकोला कंपनी को लेकर हिंडनबर्ग ने रिपोर्ट जारी की। जिसमें कंपनी पर आरोप लगाए गए थे कि इसने इलेक्ट्रिक ट्रक तकनीकी की क्षमताओं को लेकर बढ़ा-चढ़ा कर जानकारी साझा की है। इसके बाद कंपनी के स्टॉक 50-55% गिर गए।
क्लोवर हेल्थ : फरवरी 2021 में फ्लावर हेल्थ कंपनी को लेकर दावा किया कि कंपनी ने अपने निवेशकों को यह जानकारी नहीं दी की कंपनी अमेरिकी न्याय विभाग की जांच के दायरे में है। इसके बाद कंपनी के स्टॉक 14 डॉलर से 50% गिरावट के बाद 7 डॉलर पर आ पहुंचे।
लॉर्ड्सटाउन मोटर्स (इलेक्ट्रिक ट्रक बनाने वाली कंपनी) कंपनी को लेकर मार्च 2021 में रिपोर्ट जारी की. जिसमें कंपनी पर निवेशकों को गुमराह करने का आरोप लगाया गया था। जिसके बाद कंपनी के स्टॉक 50% से ज्यादा टूटे।
इचान इंटरप्राइजेज : इचान इंटरप्राइजेज कंपनी पर मई 2023 में रिपोर्ट जारी की गई। जिसमें कंपनी की वित्तीय स्थिति पर सवाल उठाए गए। कंपनी के डिविडेंड संरचना को पोंजी स्कीम बताया। जिसके चलते कंपनी के स्टॉक 50% तक टूट गए थे।